Tuesday, August 16, 2011

Sab waqt ka pher hai

सब वक्त का फेर है न तुम गलत न मैं सही
वक्त बदला तुम बदले तो हम भी बदल गए.
तुम्हे भुलाना इतना भी मुश्किल न था
यादों की खुराक कड़वी थी दुनियादारी के पानी से निगल गए.
तय तो बहुत कुछ था पर हो न सका
जाना कहीं और था कहीं और निकल गए
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